आवाजों के समदर में सन्नाटे को खोजती मैं
रिश्तों के भंवर में तन्हाई को ढूँड़ती मैं
दरवाज़ों की ओड़ में छुपे चेहरों को निहारती मैं
चद लम्हों की यादों में सदियों को समेटती मैं
रिश्तों के भंवर में तन्हाई को ढूँड़ती मैं
दरवाज़ों की ओड़ में छुपे चेहरों को निहारती मैं
चद लम्हों की यादों में सदियों को समेटती मैं