ना कहो मुझे तुम दुर्गा
और ना समझो बेचारी
अबला तो नहीं, सबला भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कभी आरक्षण से सशक्तिकरण
कहीं बलात्कार और चीरहरण
वास्तु तो नहीं, शक्ति भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कभी जननी कह कर मुझे मान दिया
कहीं भ्रूणहत्या से नष्ट किया
मैं बोझ नहीं, लक्ष्मी भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
मैं संग भी हूँ पर भिन्न भी हूँ
मात, बेटी, पत्नी और बहन भी मैं
आगे तो नहीं, पीछे भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कल्पना बिंदु
राज मोहिनी
इंदिरा सरकार
और ना समझो बेचारी
अबला तो नहीं, सबला भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कभी आरक्षण से सशक्तिकरण
कहीं बलात्कार और चीरहरण
वास्तु तो नहीं, शक्ति भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कभी जननी कह कर मुझे मान दिया
कहीं भ्रूणहत्या से नष्ट किया
मैं बोझ नहीं, लक्ष्मी भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
मैं संग भी हूँ पर भिन्न भी हूँ
मात, बेटी, पत्नी और बहन भी मैं
आगे तो नहीं, पीछे भी नहीं
मैं तो हूँ बस इक नारी।
कल्पना बिंदु
राज मोहिनी
इंदिरा सरकार