Unspoken Words
Tuesday, June 15, 2010
Sharing
There is no dearth of those who can give us a listening ear,
It is just that we need to be ready to share with them.
Yesterday I discovered two of them, ‘myself’ and my ‘laptop’.
Sharing helps a lot.
......थमी है ज़िन्दगी
यूं बन्जर मरुस्थल सी थमी है ज़िन्दगी
न कोई राह नज़र आती, न किसी मंजिल का निशाँ
न इस अन्धकार से है प्यार, न उस उजाले का इंतज़ार
न पतझड़ की पीड़ा है सताती, न सावन की फुहारें ही सुहाती
बेटुक, मौन, बस आसमान को ताकती ये ज़िन्दगी.
यूं बन्जर मरुस्थल सी थमी है ज़िन्दगी........बस थमी है ज़िन्दगी
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