आवाजों के समदर में सन्नाटे को खोजती मैं
रिश्तों के भंवर में तन्हाई को ढूँड़ती मैं
दरवाज़ों की ओड़ में छुपे चेहरों को निहारती मैं
चद लम्हों की यादों में सदियों को समेटती मैं
रिश्तों के भंवर में तन्हाई को ढूँड़ती मैं
दरवाज़ों की ओड़ में छुपे चेहरों को निहारती मैं
चद लम्हों की यादों में सदियों को समेटती मैं
3 comments:
tough to read and then to understand
why can't you also post english versions?
Thanks for dropping by. Saw that you work non-profit, would like to know more.
Went through your english writings.. liked the melancholy of 'dreams and agreements'
आपने अपने मन में चल रही विचारधाराओं को व्यक्त किया है
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